इसकी शुरुआत होती है जब मैंने उसे पहली बार देखा। मैंने पहली नज़र में ऐसा कभी किसी के लिए फील नहीं किया था। मेरी लाइफ में बहुत सी लड़कियां थी उससे पहले पर वो कुछ तो अलग थी या फिर ऐसा इसलिए लग रहा था क्योंकि वो मेरी लाइफ में नहीं थी। हम दोनों एक ही आईटी कंपनी और ऑफिस में काम करते थे पर कभी एक दुसरे को देखा ही नहीं था। मैं हमेशा अपनी गाड़ी से ऑफिस जाता था और ऑफिस कैब पसंद नहीं करता था। ठंड का समय था और कोहरा पड़ रहा था तो सोचा एक दो दिन ऑफिस कैब से ही चलते हैं। मैं अपने नोडल पॉइंट पर पहुंचा तभी एक लड़की भी वहीँ आ गई पर मैं नहीं जानता था कि वो भी उसी कैब का इंतज़ार कर रही है। मैंने उसकी तरफ देखा और उसने मेरी तरफ और हमारी नज़रें मिलीं और उसने अपनी नज़रें हटा लीं लेकिन मेरा तो काम ही हो गया उस एक नज़र से। तब हम दोनों नहीं जानते थे कि हम एक ही ऑफिस जाने वाले हैं। मुझे लगता है कि उसने मुझे नोटिस भी नहीं किया था। तभी ऑफिस कैब आई और हम दोनों ही उसमे बैठ गए और वो भी अगल बगल। मतलब मेरी तो दिल की धड़कने बढ़ गईं की ये तो सोचा भी नहीं था। पहली बार ऐसा था की मुझे कैब में जाने में कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। ऑफिस पहुचते ही मुझे शाम की कैब का इंतजार होने लगा की वो फिर से मिलेगी। बड़ी मुश्किल से शाम हुई मैं जल्दी से कैब के लिए गया पर वो वहां नहीं थी। राश्ते भर उसके बारे में ही सोचता रहा । घर पंहुचा तब भी वही मेरे दिमाग में थी और अगले दिन फिर से उससे मिलने की उत्सुकता थी। मैं कभी कैब में जाने के लिए इतना बेचैन नहीं था जितना उस दिन था। किस्मत से वो फिर से मेरे साथ ही बैठी और हाँ शाम वाली कैब में भी साथ ही लौटे पर अफ़सोस कोई बात नहीं हुई। मैं चुपचाप एक नज़र उसे देख लेता था । अब मैं रोज़ ही कैब से जाने लगा। कभी कभी hi hello हो जाती थी। अब हम दिन में कई बार एक दुसरे के सामने आ जाते थे और अब स्माइल भी पास कर देते थे एक दुसरे को देखकर। मेरा एक तरफ़ा आकर्षण बढ़ता जा रहा था। अब हमारे ब्रेकफास्ट, लंच और इवनिंग ब्रेक की टाइमिंग भी एक ही हो रही थी। और ये ऐसा समय था जब मुझे Serendipity पर विश्वास होने लगा। हमारा ऑफिस में एक दुसरे के सामने आना सिर्फ इत्तेफाक होता था लेकिन मुझे लगा की उसे ये पसंद नहीं आ रहा था क्योंकि उसने स्माइल पास करना भी बंद कर दिया था। इसी बीच मुझे पता चला वो एक सीरियस रिलेशनशिप में कई सालों से है लेकिन मेरा आकर्षण ख़त्म नहीं हुआ। मैं उसे stalk या follow नहीं कर रहा था इसीलिए मेरा भरोसा Serendipity में बढ़ रहा था। लेकिन धीरे धीरे उसके व्यहार से मुझे कहीं ना कहीं ये लगने लगा है की मेरा उसकी तरफ देखना उसे पसंद नहीं है तो मैंने खुद ही अपने टाइम को बदला है और कोशिश करने लगा की उससे सामना ना हो। इतना सब मैं अपने आप को समझाता हूँ पर दिल है की मानता नहीं। अभी भी हम एक ही कैब से आते जाते हैं पर कोई बात नहीं होती। आज मैं ये सब इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकी आज पहली बार मैं उसको देखना नहीं चाहता था और सब कुछ दिल से निकलाना चाहता था लेकिन आज कैब में सिर्फ हम दोनों ही थे और थोड़ी सी ज्यादा बात की। यही तो Serendipity है।
वो बहोत ज्यादा beautiful है और मैं बिलकुल ही average looking। मैं तो उसकी दोस्ती के लायक भी नहीं हूँ। फिर भी मैं समझ नहीं पा रहा हूँ की न चाहते हुए भी एक दुसरे के सामने कैसे आ जाते हैं। क्या इतने सारे coincidence हो सकते हैं
मैं अपने दिल की बात किसी को भी नहीं बता पा रहा तो मैंने ये ब्लॉग शुरु कर दिया और कोशिश करूंगा की इसमें कुछ भी नया होता है तो मैं यहाँ अपडेट करूँ।
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